INDIA कौन है, क्या है और क्या कहना चाहता है? क्या हम उसे कभी समझ नहीं
पाएंगे, जैसे किसी बीज के अन्तर्भाग को नहीं समझ सकते? किसी देश में ऐसा
जादुई आकर्षण कैसे हो सकता है? आखिर भारत कौन है?
भारत को जानना है तो उसकी आवाज़ सुनो। वह आवाज़ जो प्राचीन गुफाओं की दीवारों पर उकेर कर लिखे गए शिलालेखों से आती है, उसे सुनो। सुनो किसी साधु को या किसी लोक कथाकार को, हमेशा से बहती आई किसी सदाबहार नदी को या सालों से खड़े अमर विशाल पर्वतों से गूंजकर लौटती आवाज़ सुनो। किसी संगमरमर या पत्थर पर साकार रुप में उकेरी गई प्रार्थना को देखो या किसी बरगद के नीचे लेटो और सुनो, इस भारत को सुनो।
यह नाम भारत, उस विशाल प्रायद्वीप को दिया गया है जो एशिया महाद्वीप में तिब्बत की दक्षिणी सीमा पर एक तलवार की तरह घुमावदार आकार वाली विशाल पर्वत श्रृंखला से लगा है। एक अव्यवस्थित चतुर्भुज के आकार वाला, बड़े इलाके में फैला यह क्षेत्र जिसे हम भारत कहते हैं, उपमहाद्वीप के नाम का सच्चा हकदार है। प्राचीन भूगोलज्ञ भारत को ‘चतुः समस्थाना संस्थितं से गठित’ कहते थे। इसके दक्षिण, पश्चिम और पूर्व दिशा में महान महासागर और उत्तर में धनुष की प्रत्यंचा की तरह हिमवत श्रृंखला फैली है।
उपर दिया गया हिमवत नाम ना सिर्फ बर्फ से ढंके हिमालय बल्कि उससे कम उंचाई वाले पूर्व दिशा में स्थित पटकाई, लुशाई और चटगांव पर्वत और पश्चिम के सुलेमान और किरथर श्रृंखला को भी कहा जाता है। यह श्रृंखला समुद्र तक जाती है और एक ओर यह भारत को वृक्षयुक्त इरावती घाटी से अलग करती है तो दूसरी ओर इसे ईरान के पर्वतीय पठार से अलग करती है। मिथकों और रहस्यों से भरा विशाल हिमालय अपने अद्भुत वैभव के साथ स्थित है। यह छोटी बड़ी पर्वत श्रंखलाएं अपनी बर्फ की कभी ना खत्म होने वाली धाराओं से गंगा को पोषित करती रहती हैं। हिमालय कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के लोगों का घर है।
भारत को जानना है तो उसकी आवाज़ सुनो। वह आवाज़ जो प्राचीन गुफाओं की दीवारों पर उकेर कर लिखे गए शिलालेखों से आती है, उसे सुनो। सुनो किसी साधु को या किसी लोक कथाकार को, हमेशा से बहती आई किसी सदाबहार नदी को या सालों से खड़े अमर विशाल पर्वतों से गूंजकर लौटती आवाज़ सुनो। किसी संगमरमर या पत्थर पर साकार रुप में उकेरी गई प्रार्थना को देखो या किसी बरगद के नीचे लेटो और सुनो, इस भारत को सुनो।
यह नाम भारत, उस विशाल प्रायद्वीप को दिया गया है जो एशिया महाद्वीप में तिब्बत की दक्षिणी सीमा पर एक तलवार की तरह घुमावदार आकार वाली विशाल पर्वत श्रृंखला से लगा है। एक अव्यवस्थित चतुर्भुज के आकार वाला, बड़े इलाके में फैला यह क्षेत्र जिसे हम भारत कहते हैं, उपमहाद्वीप के नाम का सच्चा हकदार है। प्राचीन भूगोलज्ञ भारत को ‘चतुः समस्थाना संस्थितं से गठित’ कहते थे। इसके दक्षिण, पश्चिम और पूर्व दिशा में महान महासागर और उत्तर में धनुष की प्रत्यंचा की तरह हिमवत श्रृंखला फैली है।
उपर दिया गया हिमवत नाम ना सिर्फ बर्फ से ढंके हिमालय बल्कि उससे कम उंचाई वाले पूर्व दिशा में स्थित पटकाई, लुशाई और चटगांव पर्वत और पश्चिम के सुलेमान और किरथर श्रृंखला को भी कहा जाता है। यह श्रृंखला समुद्र तक जाती है और एक ओर यह भारत को वृक्षयुक्त इरावती घाटी से अलग करती है तो दूसरी ओर इसे ईरान के पर्वतीय पठार से अलग करती है। मिथकों और रहस्यों से भरा विशाल हिमालय अपने अद्भुत वैभव के साथ स्थित है। यह छोटी बड़ी पर्वत श्रंखलाएं अपनी बर्फ की कभी ना खत्म होने वाली धाराओं से गंगा को पोषित करती रहती हैं। हिमालय कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के लोगों का घर है।
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